फोर्थ वॉल प्रोडक्शंस द्वारा आयोजित दूसरे हरियाणा रंग उत्सव में बच्चों के लिए रंगमंच की उपयोगिता विषय पर सेमिनार हुआ। बच्चों के लिए रंगमंच की उपयोगिता और 21वीं शताब्दी में नाट्य प्रयोग और नाट्य महोत्सवों का आयोजन विषय पर सेमिनार आयोजित किए गए। इसमें वक्ताओं के तौर पर डॉ0 देशराज मीणा, श्री आनन्द सिंह भाटी, जितेन्द्र पांचाल, अभिषेक देषवाल ने अपने विचार रखे और इसके साथ ही सेमिनार में शामिल हुए लोगों ने भी अपने प्रष्न सामने रखे।
सेमिनार की शुरूआत में आनन्द सिंह भाटी ने कहा कि बच्चों के लिए रंगमंच अत्यंत उपयोगी है क्योंकि इसकी प्रक्रिया से गुज़रते हुए हम जिस तरह का रोल करते हैं, वह हमारे अंतस में चला जाता है। हम जिस तरह का चरित्र निभाते हैं, वह हमारे जीवन में चाहे-अनचाहे उतर जाता है। इसके साथ ही डॉ0 देशराज मीणा ने कहा कि आजकल बच्चे तनाव में हैं और इस दौर में अगर हम रंगमंच के ज़रिये उन्हें दो घंटे के लिए मोबाइल फ़ोन और तकनीक से भी दूर रख पा रहे हैं तो इसका अर्थ हुआ कि रंगमंच अपना काम कर रहा है। बच्चों के लिए रंगमंच अत्यंत उपयोगी है और वह उन्हें नैतिक मूल्य प्रदान करता है, जिसकी शुरूआत स्कूलों में होने वाली बाल सभाओं से हुई।
इसके साथ ही दर्शकों में उपस्थित उपहार ने बताया कि हरियाणा सरकार के सहयोग से मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के ज्ञान पर आधारित कार्यषालाएँ चल रही है, जिसमें रंगमंच से जुड़े हुए तत्व शामिल किए जा रहे हैं। वहीं जितेन्द्र पांचाल ने कहा कि जितनी भी कलाएं हैं, वह हमें अच्छा इंसान बनाती हैं और अच्छा इंसान, अच्छा कलाकार बन सकता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ज़िंदगी में हमेशा बच्चा बना रहना ज़रूरी है और सीखने के लिए हमें बच्चा बने रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि रंगमंच एक त्योहार है, जो हमें अच्छे और बुरे की पहचान बताने के साथ ही नैतिक शिक्षा भी देता है। अभिषेक देशवाल ने बताया कि नाट्य महोत्सवों का आयोजन मुश्किल काम है, जिसके लिए कई विभागों से सहायता ली जा सकती है। हमारे षहर के उद्योगपति विश्व भर में प्रसिद्ध हैं लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि उन्हें नाटक से क्या मिलेगा ? हमें यह सब ध्यान रखना होगा कि किस तरह हम नाट्य महोत्सव को आयोजित करना है।