आगामी “पांचवीं अन्तर प्रादेशिक प्रतियोगिता का भव्य समापन ८ अगस्त को
सतयुग दर्शन वसुन्धरा में आयोजित किया गया।
-७५वीं आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र
द्वारा ५वीं अन्तर प्रादेशिक सांगीतिक प्रतियोगिता का भव्य समापन सतयुग दर्शन के
सभागार में आयोजित किया गया।
• स्कूल ने अन्तर प्रादेशिक सांगीतिक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया।
-७५वीं आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र
द्वारा ५वीं अन्तर प्रादेशिक सांगीतिक प्रतियोगिता का भव्य समापन सतयुग दर्शन के
सभागार में आयोजित किया गया। जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवम एन सी आर के
विजेताओं के मध्य प्रतियोगिता आयोजित की गयी। जिसमें समूह गान एवम समूह नृत्य
प्रस्तुत किये गये। इस प्रतियोगिता का विषय समूह गीत- देश भक्ति गीत, मानवीय
मूल्यों पर आधारित पुस्तक में से दिये गए एवम समूह नृत्य भक्ति गीतों पर आधारित
थे।
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कार्यक्रम का शुभारम्भ सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी मैनेजिंग ट्रस्टी
श्रीमती रशमा गान्धी जी, श्री प्रदीप कुमार रजिस्ट्रार प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद एवम
चेयरपर्सन श्रीमती अनुपमा तलवार जी ने सभी अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर
किया।
इस अवसर पर सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र की चेयरपर्सन श्रीमती अनुपमा
तलवार, जो कि स्वयं भी एक उच्च कोटि की गायिका एवं नृत्यांगना हैं, ने बताया यह
संगीत कला केन्द्र वसुन्धरा, फरीदाबाद के अतिरिक्त गुड़गाँव, जालन्धर शहर, अम्बाला
कैन्ट, सहारनपुर, पानीपत, रोहतक, दिल्ली, लुधियाना इत्यादि में भी हैं। साथ ही यह
भी बताया कि संगीत कला केन्द्र प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद जो कि सन् १९२६
से संगीत शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत देश की सबसे प्राचीन शिक्षण संस्था है, से मान्यता
प्राप्त है। सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र में प्रयाग संगीत समिति के प्रवेशिका कोर्स
से लेकर संगीत प्रभाकर डिग्री कोर्स के लिए शिक्षण व्यवस्था का समुचित प्रबन्ध है।
यहाँ संगीत की तीनों विधाओं अर्थात् गायन, वादन व नृत्य में शिक्षा प्रदान की जाती
है। शिक्षण के लिए प्रशिक्षित अध्यापक हैं।
कार्यक्रम में पधारे सतयुग दर्शन ट्रस्ट के मार्गदर्शक श्री सजन जी ने कहा कि सर्वप्रथम
हम यह बताना चाहेंगें कि संगीत-विद्या का प्रयोग आदिकाल अर्थात् वैदिक काल से ही
सुदृढ़ संस्कृति स्थापना हेतु किया जाता रहा है। यह पद्धति मानवता संविधान के
अनुकूल हर सजन के मन, रूचि, आचार-विचार, कला-कौशल को युक्तिसंगत निपुणता
प्रदान कर हर समयकाल में सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक विकास की सूचक रही है।
क्योंकि तत्कालिन संगीत लय, ताल, नृत्य आदि सब में चेतना/मन को जाग्रत करने
की अद्भुत क्षमता थी जो मनुष्य की मानसिक स्थिति को सम में सुदृढ रखती
थी। कहने का तात्पर्य यह है कि तब का संगीत दिव्य मार्ग प्रशस्त करने का अर्थात्
परमानन्द तक पहुँचाने का सर्वश्रेष्ठ साधन था तथा शाश्वत ध्वनि से उत्पन्न हुआ माना
जाता था। वह अखण्ड और अटूट था तथा सभी संगीत को जीवन में स्पंदन रूप से
चेतना का प्रतीक मानते थे। अर्थात् संगीत प्रणव-वाचक, ओ३म रूपी नाद ब्रह्म
कहलाता था। तभी इस कला को उस काल में सब आत्म-मार्ग का सर्वोच्च निर्देशक
मानते थे और यह हृदय को निर्मल बनाने व मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने के साधन
के रूप में जाना जाता था। संक्षेपतः हम कह सकते हैं कि वह संगीत धर्म, अर्थ, काम
और मोक्ष की प्राप्ति का प्रदायक भी था और स्वर समाधि द्वारा ब्रह्मलीन होने का
माध्यम भी। हम सबको व समस्त संगीतज्ञयों व विद्धानों को एक मूकदृष्टा की भांति
मानवता को पतनता की तरफ जाते हुए नहीं देखना चाहिए अपितु अपनी योग्यता, गुण
प्रतिभा का प्रयोग सच्चरित्रता व नैतिकता के मूल्यों को स्थापित करने की तरफ
लगाना चाहिए। इन्हीं तथ्यों को मध्य नजर रखते हुए संगीत के माध्यम से मनुष्य की
शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वस्थता के उत्थान के लिए सतयुग दर्शन संगीत
कला केन्द्र की स्थापना आवश्यक समझी गई है। आज का कार्यक्रम सबके अन्दर एक
नयी ऊर्जा का संचार करेगा। साथ ही इस प्रकार की प्रतियोगिताओं से विद्यार्थियों के
अन्दर देश भक्ति की भावना जाग्रत होती है। जिससे सच्चा नागरिक बनने के लिए
प्रेरित करना एवम भक्तिमय जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।
प्रयाग संगीत समिति के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार जी ने जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं सतयुग दर्शन कला केन्द्र की पूरी टीम को हृदय से बधाई देता हूं कि जिन्होंने अथक परिश्रम से संगीत के प्रति बच्चों को प्रेरित किया और इतना भव्य आयोजन किया।
समूह गान में पीकेआर जैन वाटिका स्कूल अंबाला ने प्रथम स्थान हासिल किया वहीं लॉर्ड जीसस स्कूल गुरु गुरु ग्राम ने द्वितीय स्थान हासिल किया इसके साथ ही कुरुक्षेत्र से माइलस्टोन स्कूल ने तृतीय स्थान हासिल किया और समूह नृत्य का परिणाम इस प्रकार इस प्रकार रहा पठानिया पब्लिक स्कूल प्रथम स्थान पर रहा सहारा कंप्रिहेंसिव कुरुक्षेत्र से द्वितीय स्थान पर रहा और सीसीए स्कूल गुरुग्राम से तृतीय स्थान पर रहा इस प्रकार सभी विजेताओं को 5100/- ₹3100/- ₹ और ₹2100/- की नकद धनराशि ,ट्राफी एवं सर्टिफिकेट आदि से सम्माननीय अतिथियों ने सम्मानित किया और सभी उप विजेताओं को सर्टिफिकेट आदि से सम्मानित किया गया। केंद्र व्यवस्थापक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य दीपेंद्र कांत ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात कार्यक्रम का समापन हुआ।