हरियाणा रंग उत्सव के दूसरे दिन अक्ल बड़ी या जूता नाटक ने लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही उन्हें सोचने पर विवश कर दिया। इस नाटक में छोटे-छोटे बच्चों ने अपने अभिनय कौशल से लोगों को बड़ी सीख दी। उत्सव का शुभारंभ शिक्षाविद् बांके बिहारी, साहित्यकार शिव प्रभाकर ओझा, परवेश मलिक और अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलन करके किया।
अक्ल बड़ी या जूता नाटक में राजा अपने बेटे के लगातार रोते रहने से परेशान हो जाता है। उसे पता चलता है कि सूरज की गर्मी में उसके बेटे के पैर जलने से वह खेल भी नहीं पा रहा और हमेशा रोता रहता है। राजा अपने मंत्री, प्रधान, विदूषक और मंत्रिमंडल को बुला कर सूरज की गर्मी से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के उपायों पर विचार करने को कहता है जैसे आकाश में मंडप बना दो, सारे शहर में हमेशा पानी डालते रहो, सूरज पर गोला-बारूद चला कर उसे खत्म कर दो। अंत में जब वह अधिक परेशान हो जाता है तो दूर देश से एक आदमी आकर उसकी परेशानी को दूर करने का दावा करता है। वह राजकुमार के पैरों में जूता पहनाता है और अब राजकुमार को धूप में खेलने में कोई परेशानी नहीं होती। राजा खुश होकर उसे प्रधान बना देता है और राज्य के सभी लोगों के लिए जूता बनाने का आर्डर दे देता है।
डाॅ0 अंकुश शर्मा द्वारा निर्देशित इस नाटक में अभिनय करने वाले बच्चों में देवान्शी नागपाल, आव्या मोदी, सायशा, अचल शर्मा, आयुष, यश शर्मा, प्रेम शर्मा, दक्ष सतीजा और लक्ष्य ने अपने अभिनय कौशल से लोगों का खूब मनोरंजन किया। इस नाटक के शहर में और भी कई प्रस्तुतियां आयोजित की जाएंगी। हरियाणा रंग उत्सव के निदेशक दीपक पुष्पदीप ने बताया कि उत्सव का समापन निठ्ल्ला नाटक से किया जाएगा।