विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दो कहानियों के पाठ से पांचवे फ़रीदाबाद थियेटर फेस्टिवल का शुभारंभ हुआ। फोर्थ वाॅल प्रोडक्शंस द्वारा द कैसल ऑफ आर्ट थियेटर और बैठानिया सेंटर के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय रंगमंच महोत्सव की शुरूआत हो चुकी है। इस फेस्टिवल के पहले दिन भारत पाकिस्तान बंटवारे के दर्द को *नमक* कहानी तथा दोस्त की नादानी को *नादान दोस्त* कहानी के पाठ के माध्यम से दर्शकों के सामने रखा गया।
द कैसल ऑफ आर्ट थियेटर, दशमेश प्लाज़ा, फ़रीदाबाद में जादूगर सी0 पी0 यादव, वरिष्ठ साहित्यकार ज्योति संग, रंगकर्मी आनन्द भाटी और उधम सिंह ने दीप प्रज्वलन करके थियेटर फेस्टिवल का शुभारंभ किया। इसके बाद ज्योति संग ने अपने द्वारा लिखित कहानी नादान दोस्त को पढ़ कर दर्शकों को रिश्तो की अहमियत के संबंध में सोचने पर विवश किया। उन्होंने आवाज़ के उतार-चढ़ाव के साथ कहानी को पढ़ते हुए रंगमंच में वाचिक अभिनय के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद रंगकर्मी आनन्द भाटी ने भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दर्द को दर्शकों के सामने रखा। उन्होंने रज़िया सज्जाद ज़हीर द्वारा लिखित कहानी नमक के माध्यम से अपना मुल्क छोड़ चुकी एक बुजुर्ग औरत का नमक के प्रति उसके इश्क़ के माध्यम से बंटवारे की पृष्ठभूमि पर भी रोशनी डाली। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष तक इस कहानी को सीबीएसई के सिलेबस में रखा गया था लेकिन जिस तरह एक कमरे में बैठ कर कुछ मौकापरस्त राजनेताओं द्वारा मुल्क का बंटवारा कर दिया गया, उसी तरह कुछ रणनीतिकारों द्वारा इस कहानी को भी सिलेबस से हटा दिया गया। इस अवसर पर युवा साहित्यकार मदन मोहन की पहली किताब *सावली, जो मेरा था ही नहीं* का भी विमोचन किया गया।
फेस्टिवल के निर्देशक दीपक पुष्पदीप ने बताया कि आगामी 31 मार्च तक दर्शक अलग-अलग भावों से युक्त नाटकों का आनन्द ले सकेंगे।