September 30, 2024
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राष्ट्रीय कवि संगम संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया,द कैंसल ऑफ आर्ट थियेटर, दशमेश प्लाजा में
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राष्ट्रीय कवि संगम संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया,द कैंसल ऑफ आर्ट थियेटर, दशमेश प्लाजा में

Dashmesh plazaरविवार। द कैंसल ऑफ आर्ट थियेटर, दशमेश प्लाजा में राष्ट्रीय कवि संगम संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय अतिथि मुखा मुखम मंच के अध्यक्ष श्री ललित गोयल जी, अग्रवाल समिति के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र सिंगला जी, विश्वप्रसिद्ध जादूगर श्री सी पी यादव जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। तत्पश्चात् काव्या राजपूत द्वारा मां सरस्वती की आराधना से काव्यपाठ का आरंभ किया गया।काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार नवाब केसर जी ने की। काव्यपाठ करते हुए कवि शार्दुल श्रेष्ठ ने हिन्दुत्व का सार्थक वर्णन किया। सुरेश चन्द कौशिक जी ने अपने गीत में दूध और पानी जैसी प्रगाढ़ मित्रता करने की बात कही। निशांत बदायुनी ने श्रृंगार की रचनाएं सुनाई। अंजलि सरधना ने कोलकाता की वीभत्स घटना को केंदित करते हुए कहा कुछ असामाजिक लोगों के कारण पूरी पुरुष जाति को अपमानित होना पड़ता है। संदीप जगन ने श्रीकृष्ण और श्री राधा पर मनमोहक छंद सुनाएं। देवेन्द्र गौड़ ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा ‘दिल करता है मेरा फिर से एक बच्चा बन जाऊं मैं बच्चों के संग बच्चा बनकर मस्ती करके आऊं मैं’।

संस्था के जिला संरक्षक मोहन शास्त्री जी ने कहा ‘आज गद्दार फिर कर रहे कोशिशें ध्यान रखना कहीं न वतन बेच दें’। वरिष्ठ कवि ईश्वरदत्त जी ने उत्साह भरने वाली पंजाबी भाषा की कविता सुनाई। मनोज मनमौजी ने पति पत्नी के मधुर संबंधों पर हास्य कविताएं सुनाईं।
कवयित्री प्रीता कौशिक जी ने राष्ट्र जागरण के लिए युवाओं को प्रेरित करने वाली कविताएं सुनाईं। सीमा कौशिक ने सामाजिक सारोकार की भावना को बल देने के लिए आह्वान किया। संस्था की महामंत्री कवयित्री कोमल शर्मा ने काव्यपाठ करते हुए कहा ‘जिनके रक्त में बहता है अब भी वीर सावरकर जरा बतलाओ दुनिया को वो भारत मां के बेटे हैं।’ संस्था के जिला मंत्री कवि पुनीत पांचाल ने कृष्ण जन्मभूमि की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा ‘जहां गूंजी पहली किलकार पलना वहीं झुलाएंगे कृष्णलला हम आएंगे अब माखन वहीं खिलाएंगे।’ कार्यक्रम के अध्यक्ष नवाब केसर जी ने अपना 45 साल पुराना गीत सुनाते हुए कहा ‘हो गया हंस होकर जुदा जिस्म से मेरी मिट्टी पड़ी की पड़ी रह गयी।’
कार्यक्रम का संचालन युवा कवयित्री सुश्री कोमल ‘वाणी’ ने किया।

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