
चतुर्थ हरियाणा रंग उत्सव ज्योति संग स्मृति नाट्य समारोह के अंतर्गत अग्रवाल काॅलेज, मिल्क प्लांट रोड, बल्लभगढ़ में रंगमंच पर आधारित सेमिनार और कार्यशाला का आयोजन किया गया। रंगमंच से जुड़े विद्यार्थी और एम0 ए0 हिन्दी साहित्य से जुड़े विद्यार्थियों ने 21वीं शताब्दी में मौलिक हिन्दी नाटकों की चुनौतियों विषय पर हुए सेमिनार के अंतर्गत वक्ताओं को सुनते हुए उनके सामने प्रश्न भी रखे।
इस सेमिनार में हिन्दी साहित्य की जानकार उषा शर्मा, मनोज कुमार, रंगकर्मी आनन्द सिंह भाटी तथा पुनीत कौशल ने इस विषय से जुड़े अपने वक्तव्य रखे। उषा जी ने कहा कि समाज में तेज़ी से बदलती समस्याओं को हिन्दी नाटकों में स्थान देना अनिवार्य है। आज हिन्दी के उन्हीं पुराने नाटकों की मांग अधिक है जिनमें उस समय की समस्याओं को उजागर किया गया जैसे आधे अधूरे। वहीं मनोज जी ने कहा कि मौलिक हिन्दी नाटकों की चुनौतियों को पकड़ पाना अत्यंत कठिन है।
रंगकर्मी आनन्द सिंह भाटी ने कहा कि रंगकर्मियों को भी हिन्दी के नए मौलिक नाटकों में अपना योगदान देना होगा। वहीं, रंगकर्मी पुनीत कौशल ने कहा कि हिन्दी भाषा में नए नाटकों की रचना कम हो रही है और जो कर भी रहे हैं तो उन्हें खेलने वाले लोग कम हैं। सभी वक्ताओं के बाद सेमिनार में शामिल छात्रों ने अपने प्रश्न भी रखे और उनकी जिज्ञासाओं को शांत करते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दिए।
इसके बाद एनएसडी वाराणसी से आए पुनीत कौशल ने रंगमंचीय कार्यशाला के अंतर्गत शास्त्रीय मूवमेंट की जानकारी दी और प्रयोग पर आधारित कार्यशाला को संपन्न किया।
